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करवा चौथ

व्रत रखा करवा चौथ का,

पति प्यार में रची पगी,
कामदेव भी आज रीझ गए,
सोलह श्रंगार कर रूप अलौकिक, 
करवा व्रत से कांति दमक उठी,
हाथ में रची मेंहदी पिय नाम की,
परिणीता इठलाती इतराती फिरे,
पति भी मन मुग्ध प्रिया को निहारें,
जरूरत का रखें ख्याल मन ही मन मुस्काएँ,
करतल में लिखा पति नाम मन गुदगुदाए।
आध्यात्मिक धार्मिक माहौल पूर्णतया,
पति की दी भेंट प्रिया धारण कर,
माँ करवा से मन ही मन विनय,
बिना अन्न जल ग्रहण किए व्रत रखा,
प्रिया भूखी है प्रियतम न भोजन कर पाए,
चाँद भी आज बहुत शर्माता है,
अनगिनत सुहागिनों की याचना पर,
इतराता या पवित्रता का तेज नहीं झेल पाता,
आज तो जैसे बादलों के घूंघट में छिपा है,
मुँह दिखाए और छुप जाता है,
बहुत रिझाता है दुल्हनों को,
इंतजार की घड़ियाँ बीती,
चाँद आया! चाँद आया!
व्योम में जैसे चाँद ही चाँद छाया,
अप्सराएँ चल पड़ी चंद्र पूजन!
छलनी से चंद्र दर्शन कर,
पति प्रियतम का दीदार किया,
पूजन अर्चन कर चाँद का,
अपने चाँद की दीर्घायु वर प्राप्त किया,
चाँद मुस्कुराए गगन में,
दुल्हनों का आज मीत बन गया,
हर सुहागिन करे चाह पूरी,
जन्म जन्मांतर का साथ बन गया!
जन्म जन्मांतर "श्री" साथ बन गया!

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान) 


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5 Comments

Gunjan Kamal

10-Nov-2023 08:26 PM

👌👏

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Mohammed urooj khan

07-Nov-2023 04:20 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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सुन्दर सृजन

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